मैं लाखों वादे निभा के तुमसे, कह देना चाहता था कि,
मैं प्यार जताना चाहता हूँ, पर आधा ही रह जाता हूँ,
कभी कभी राजा होकर भी, प्यादा ही रह जाता हूँ...
मैं प्यार जताना चाहता हूँ, पर आधा ही रह जाता हूँ,
कभी कभी राजा होकर भी, प्यादा ही रह जाता हूँ...
मित्र बनाने चला था एक दिन, लाख जतन कर डाले थे,
पर दुनिया की इस शान के आगे, सादा ही रह जाता हूँ,
कभी कभी राजा होकर भी, प्यादा ही रह जाता हूँ...
आकाश में टूटे लाखो तारे, हर तारे से ख्वाहिश की,
पर फिर शायद एक अधुरा वादा ही रह जाता हूँ,
कभी कभी राजा होकर भी, प्यादा ही रह जाता हूँ...