COVID-19 के कारण रक्त के थक्के जमने की समस्याएँ

हाल ही में विश्व भर में कई चिकित्सकों ने COVID-19 से संक्रमित मरीज़ों में रक्त के थक्के जमने से जुड़ी समस्याओं के मामलों में वृद्धि देखी है, चिकित्सकों के अनुसार, यदि ऐसे मामलों में मरीज़ को जल्दी उपचार नहीं उपलब्ध कराया जाता तो यह जानलेवा भी हो सकता है।

  • इस बीमारी में अलग-अलग मरीज़ों में पैरों पर मामूली त्वचा घाव, जिसे ‘कोविड टो ‘ (COVID Toe) भी कहा जाता है, से लेकर दिल के दौरे पड़ने और नसों में रक्त के थक्के जमने जैसे घातक मामले भी देखे गए हैं।
  • ऐसे मामलों में सही समय पर इलाज न होने से श्वसन से जुड़ी समस्याओं के ठीक होने के कई दिनों या महीनों बाद मरीज़ में इस बीमारी के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। 

संक्रमणों में रक्त जमने के मामले: 

  • विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे संक्रमण के मामलों में थक्के जमाने के खतरों का बढ़ना असामान्य नहीं है। 
  • इससे पहले वर्ष 1918 की स्पैनिश फ्लू (Spanish Flu) की महामारी के दौरान भी मरीज़ो में रक्त के थक्के जमने के मामले देखे गए थे, जिनसे बहुत ही जल्दी व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती थी। 
  • इसके अतिरिक्त अन्य वायरस जैसे-एचआईवी (HIV), डेंगू (Dengue), इबोला (Ebola) आदि भी रक्त जमने जैसे हानिकारक प्रभावों के लिये जाने जाते हैं।
  • हालाँकि COVID-19 में थक्के जमने की तीव्रता अन्य संक्रमणों की तुलना में कई गुना अधिक है।
  • चिकित्सकों के अनुसार, कुछ मामलों में ऐसे रक्त के थक्के, मरीजों में गुर्दे को सहायता देने वाले ‘आर्टीरियल कैथीटर्स’ (Arterial Catheters) और फिल्टर्स (Filters) में बनते हैं, जिन्हें थ्रोम्बी (Thrombi) कहा जाता है। परंतु अधिक खतरनाक वे थक्के हैं जो फेफड़े में रक्त प्रवाह को बाधित करते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।

प्रभाव:    

  • चिकित्सकों के अनुमान के अनुसार, रक्त के इन थक्कों का जमना मरीज़ों के स्वास्थ्य में तीव्र गिरावट और ब्लड-ऑक्सीजन की कमी का प्रमुख कारण हो सकता है।   
  • फरवरी 2020 में चीन में मरीज़ों में रक्त के थक्के जमने के मामले देखे गए थे परंतु इनकी गंभीरता के बारे में स्थिति अब और अधिक स्पष्ट हो गई है।  
  • इसके अतिरिक्त फ्राँस और नीदरलैंड में किये गए अध्ययनों में देखा गया कि COVID-19 से संक्रमित लगभग 30% मरीज़, ‘पाॅल्मनरी इंबाॅलिज़्म’ (Pulmonary Embolism) नामक बीमारी से ग्रस्त थे, जिसमें फेफड़े की धमनियों में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है।
  • यदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाता तो धमनियों में बड़े थक्कों से हृदय पर दबाव बढ़ सकता है और व्यक्ति को हृदय आघात भी हो सकता है।
  • 3 में से एक मामले में सही समय पर इलाज न मिले पर इसके घातक परिणाम हो सकते हैं और 6 में से 1 व्यक्ति में इसके लक्षण पुनः वापस आ सकते हैं।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, इस महामारी के बाद प्रभावित फेफड़े और रक्त के थक्के जमने से जुड़े मामलों में वृद्धि हो सकती है।
  • शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त के थक्के जमने से अन्य महत्त्वपूर्ण अंगों जैसे-दिल, गुर्दे, यकृत, आंत और अन्य ऊतकों आदि को क्षति हो सकती है।
  • मरीज़ो में रक्त के थक्कों के जमने की स्थिति में इसके परीक्षण के लिये डी-डाईमर ब्लड टेस्ट (D-Dimer Blood Test) का प्रयोग किया जाता है।  

आगे की राह:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, जहाँ एक तरफ COVID-19 से संक्रमित मरीज़ों में ऐसी समस्याओं का पता चलना इस बीमारी को और अधिक जटिल बनता है, परंतु साथ ही अधिक-से-अधिक जानकारी के पता होने से इस बीमारी का बेहतर तरीके से उपचार करना संभव हो सकेगा। 
    • उदाहरण के लिये: इटली में  ‘पाॅल्मनरी इंबाॅलिज़्म’ से एक मरीज़ की मृत्यु होने के बाद चिकित्सकों का ध्यान इस तरफ गया और इसके बाद कई अन्य मरीज़ो में इसके उपचार के प्रयास किये गए।   
  • COVID-19 के बारे में जैसे-जैसे अधिक जानकारी प्राप्त होगी चिकित्सकों को इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को उनके लक्षणों के आधार पर बेहतर और लक्षित उपचार उपलब्ध कराने में आसानी होगी।
  • शीर्ष स्वास्थ्य संस्थाओं को COVID-19 के संबंध में दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यरत चिकित्सकों और ज़मीनी स्तर पर कार्यरत सहयोगियों को अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करनी चाहिये, जिससे शीघ्र ही इस बीमारी के लक्षणों की पहचान कर मरीज़ों को उचित सहायता उपलब्ध कराई जा सके।

"ATULYA-Microwave Steriliser"

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) के तहत पुणे स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी (Defence Institute of Advanced Technology) ने कोरोनावायरस (COVID-19) को विघटित अथवा समाप्त करने के लिये ‘अतुल्य’ (ATULYA) नाम से एक ‘माइक्रोवेव-स्ट्रेलाइज़र’ (Microwave Steriliser) तैयार किया है।

  • रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह वायरस 56 डिग्री से 60 डिग्री सेल्सियस तापमान में विभेदकारी ऊष्माष्यन (Differential Heating) द्वारा विघटित हो जाता है।
  • यह उत्पाद एक किफायती उपाय है जिसे पोर्टेबल (Portable) या फिक्स्ड इंस्टोलेशन (Fixed Installations) किसी भी रूप में संचालित (Operate) किया जा सकता है।
  • मानव सुरक्षा की दृष्टि से इस उपकरण का परीक्षण किया गया है और इसे सुरक्षित पाया गया है। 
  • मंत्रालय के अनुसार, भिन्न-भिन्न वस्तुओं के आकार और ढाँचे के अनुरूप विघटन का समय 30 सेकेंड से एक मिनट तक रहता है। इस उपकरण का वजन लगभग तीन किलोग्राम है और इसका उपयोग केवल गैर-मेटैलिक (Non-Metallic) वस्तुओं के लिये किया जा सकता है।

Atulya

DRDO और कोरोनावायरस

  • देश में कोरोनावायरस का प्रसार काफी तेज़ी से हो रहा है और संक्रमण का आँकड़ा दिन-प्रति-दिन बढ़ता जा रहा है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, देश भर में कोरोनावायरस संक्रमण के कुल 52000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और इस वायरस के प्रभाव से तकरीबन 1700 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। 
  • हालाँकि इस वायरस का मुकाबला करने के लिये देश का प्रत्येक व्यक्ति और संस्थान अपनी-अपनी भूमिका अदा कर रहा है।
  • इसी क्रम में सशस्त्र बल और DRDO समेत रक्षा मंत्रालय के विभिन्न विंग्स भी देश में महामारी के प्रसार को रोकने का काफी प्रयास कर रहे हैं और अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार, विभिन्न प्रकार के उत्पादों को डिज़ाइन और विकसित कर रहे हैं।
    • DRDO की स्थापना वर्ष 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation-DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment-TDEs) और तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (Directorate of Technical Development & Production- DTDP) के संयोजन के माध्यम से की गई थी।
    • DRDO रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के तहत कार्य करता है।
  • DRDO ने महामारी से निपटने के लिये कई उत्पाद विकसित किये हैं, जिनमें वेंटिलेटर, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (Personal Protective Equipment-PPE) किट, बड़े क्षेत्रों को सैनिटाइज़ करने हेतु उपाय और COVID-19 परीक्षण के नमूने एकत्रित करने हेतु कियोस्क आदि शामिल हैं।
  • हाल ही में DRDO ने अधिक संक्रमण वाले क्षेत्रों के त्वरित एवं रसायन मुक्त कीटाणुशोधन (Disinfection) के लिये एक अल्ट्रा वॉयलेट डिसइंफेक्सन टॉवर (Ultra Violet Disinfection Tower) भी विकसित किया है।
    • ‘यूवी ब्लास्टर’ (UV blaster) नाम का यह उपकरण एक अल्ट्रा वॉयलेट (UV) आधारित क्षेत्र सैनिटाइज़र (Sanitizer) है।