"Happy Birthday Maa"



किसी ने बहुत खूब कहा हैमाँ सबकी जगह ले सकती है पर, माँ की जगह कोई नहीं ले सकता

माँ किसी के सम्मान की मोहताज नहीं होती, माँ शब्द ही सम्मान के बराबर होता है।

श्रीमद भागवत गीता में कहा गया है कि माँ की सेवा से मिला आशीर्वाद सात जन्म के पापों को नष्ट करता है। यहीं माँ शब्द की महिमा है। असल में कहा जाए तो माँ ही बच्चे की पहली गुरु होती है।

माँ एक ऐसा शब्द है जिसकी व्याख्या करना लगभग असंभव हैं एक शब्द तो क्या, शायद एक महापुराण भी छोटा पड़ जायेगा फिर भी कोशिश करें तो शायद इन तीन शब्दों में से किसी एक को चुन सकते है  

ये तीन शब्द हैंममता, वात्सल्य, निःस्वार्थ

माँ की ममता और वात्सल्य निःस्वार्थ होते हैं यूं तो हर किसी ने इसे महसूस किया हैं लेकिन समझने की कभी कोशिश नहीं की क्योंकि माँ कभी भी अपने उपकारों का, अपने प्यार का, अपने त्याग का और कष्टों का तो कभी अहसान जताती है और ही कभी इसका मूल्य मांगती है

एक माँ आधे संस्कार तो बच्चे को अपने गर्भ में ही दे देती है यही माँ शब्द की शक्ति को दशार्ता है, वह माँ ही होती है पीडा सहकर अपने शिशु को जन्म देती है। और जन्म देने के बाद भी मॉं के चेहरे पर एक सन्तोषजनक मुस्कान होती है इसलिए माँ को सनातन धर्म में भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है। 

माँएक ऐसा शब्द है जिसमे समस्त संसार का बोध होता है। जिसके उच्चारण मात्र से ही हर दुख दर्द का अंत हो जाता है।माँकी ममता और उसके आँचल की महिमा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। रामायण में भगवान श्रीराम जी ने कहा है कि ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।’’ अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। कहा जाए तो जननी और जन्मभूमि के बिना स्वर्ग भी बेकार है क्योंकि माँ कि ममता कि छाया ही स्वर्ग का एहसास कराती है।

मतलब कि मां एकदम से सहज रूप में होती हैं। वे अपनी संतानों पर शीघ्रता से प्रसन्न हो जाती हैं। वह अपनी समस्त खुशियां अपनी संतान के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पुत्री कुपुत्री हो सकती है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती। एक माँ ही है जो अपनी संतान का पेट भरने के लिए खुद भूखी सो जाती है और उसका हर दुख दर्द खुद सहन करती है। 

सबकी ज़िन्दगी कि सबसे स्पेशल इंसान एक माँ ही होती है!

माँ का अर्थ ?

सच कहूं तो पता नहीं..

पर एक पल के लिए सोचूं , तो हज़ारों अर्थ निकल आतें हैं.

अगर अपने आप के लिए देखु तो माँ का अर्थ संस्कार, त्याग, स्नेह, श्रद्धा, हौंसला, परिश्रम, और शिक्षा.

आज मैं ऐसी 4 चीज़े बताता हूँ जो मैंने अपनी माँ से सीखी - 

1. हर बात को दिल पे ना ले

माँ को पता होता है कि किन बातों को दिल पे नहीं लेना होता है और ये भी की कई बार, कई लोग, कई चीज़े कह देते हैं, लेकिन वो कभी-कभी जान बूझकर नहीं बल्कि किसी फ़्रस्टेशन की वजह से कह सकते हैं। चीज़ों को दिल पे ना लेके ही आप एक सुखी जीवन जी सकते हैं।

2. कभी हार मत मानो

मेरी माँ के बारे में सबसे बड़ी चीजों में से एक उनकी डिसिशन मेकिंग है। अगर वह कुछ हासिल करना चाहती है, तो उसे पा के रहती हैंचाहे जो भी हो। यही चीज़ मैंने भी अपनी ज़िन्दगी में उतारी है और अपने सपने को पूरा करने का ठान लिया है।

3. जो आप बदल नहीं सकते, उसे स्वीकार करना सीखें

कई बार चीज़े आपके कंट्रोल में नहीं होती है, जिसकी वजह से इंसान टूट जाता है या बिखर जाता है, लेकिन मेरी माँ से मैंने ये सीखा है कि अगर कोई ऐसी सिचुएशन है जो आप नहीं बदल सकते तो उसे एक्सेप्ट करें और उसके साथ जीना सीखें

4. दूसरों की गलतियों को माफ़ करें

मैंने अपने जीवन में बहुत सारी गलतियाँ की हैं, लेकिन मेरी माँ ने मुझे हमेशा माफ़ किया है इसी वजह से मैंने ये सीखा है कि लोगों को माफ़ करना चाहिए, कोई भी चीज़ ऐसी नहीं होती जो माफ़ कि जा सके। कई बार किसी को माफ़ करना बहुत मुश्किल हो सकता है, तब भी माफ़ करे क्यूंकि उससे कोई छोटा नहीं हो जाता।


माँ मेरी तू रहे सलामत,

तेरा जन्मदिन यूँ ही आता रहे,

हम मनाते रहें तेरा जन्मदिवस यूँ ही,

तेरे होठों पे सदा मुस्कान रहे।

                "HAPPY BIRTHDAY MAA"