"नम्र होना और वो भी किसी सर्वोच्च पद पर पहुँच कर भी नम्रता बनाए रखना विरलों से ही संभव हो पाता है , लेकिन ये भी उतना ही बड़ा सच है कि जरूरत से ज्यादा नम्रता और साधारण हो जाना कभी कभी कंमज़ोरी और कायरता का बायस बन जाता है , खासकर तब जब सामने वाला इसी नीयत से अपना आचरण और व्यवहार करे ."
मिस्टर प्राइम मिनिस्टर सर , हमने देखा है कि किस तरह से वैश्विक सम्मेलनों में दुनिया के ताकतवर देशों के राजनेता किसी भारतीय प्रधानमंत्री से मिलने के लिए उनका स्पर्श पाने के लिए उनसे हाथ मिलाने के कतारबद्ध होकर प्रतीक्षारत रहे हैं और ये सब आपके करिश्माई व्यक्तित्व और ऊंचे कद के कारण ही संभव हुआ है .
लेकिन जिस तरह से आए दिन कोई भी राह चलता जिसे नाक पर मास्क लगाना नहीं आता , उसे ढंग से टिका कर नहीं रख सकता, कोई भी मुख्यमंत्री जिससे अपना प्रदेश समाज नहीं संभल रहा वो कभी भी , किसी भी अवसर पर यही सब सार्वजनिक रूप से करने लगता है.
यकीन मानिए सर , ये आपको और आप पर विश्वास करने वाले हम करोड़ों लोगों को कमज़ोर करके हमारे मनोबल को कम करने का काम करता है .
मुंह फाड़कर बीस हज़ार करोड़ मांगने वाली को ये देख भी शर्म नहीं आई होगी कि पड़ोस की नवीन पटनायक सरकार ने स्वयं आगे होकर प्रधानमंत्री जी से इस कोरोना के आपदाकाल को देखते हुए ये निर्णय लिया कि प्राकृतिक आपदा यास तूफान से हुए नुकसान की भरपाई वे स्वयं अपने राज्य के राजकोष स करेंगे .
इतनी परिपक्वता की उम्मीद रखना और उनसे रखना बेमानी बात
है .