सर , प्राइम मिनिस्टर : ख़ुद को इतना नम्र और हमें इतना कमज़ोर मत करिए

"नम्र होना और वो भी किसी सर्वोच्च पद पर पहुँच कर भी नम्रता बनाए रखना विरलों से ही संभव हो पाता है , लेकिन ये भी उतना ही बड़ा सच है कि जरूरत से ज्यादा नम्रता और साधारण हो जाना कभी कभी कंमज़ोरी और कायरता का बायस बन जाता है , खासकर तब जब सामने वाला इसी नीयत से अपना आचरण और व्यवहार करे ."

मिस्टर प्राइम मिनिस्टर सर , हमने देखा है कि किस तरह से वैश्विक सम्मेलनों में दुनिया के ताकतवर देशों के राजनेता किसी भारतीय प्रधानमंत्री से मिलने के लिए उनका स्पर्श पाने के लिए उनसे हाथ मिलाने के कतारबद्ध होकर प्रतीक्षारत रहे हैं और ये सब आपके करिश्माई व्यक्तित्व और ऊंचे कद के कारण ही संभव हुआ है .

लेकिन जिस तरह से आए दिन कोई भी राह चलता जिसे नाक पर मास्क लगाना नहीं आता , उसे ढंग से टिका कर नहीं रख सकता, कोई भी मुख्यमंत्री जिससे अपना प्रदेश समाज नहीं संभल रहा वो कभी भी , किसी भी अवसर पर यही सब सार्वजनिक रूप से करने लगता है.

यकीन मानिए सर , ये आपको और आप पर विश्वास करने वाले हम करोड़ों लोगों को कमज़ोर करके हमारे मनोबल को कम करने का काम करता है .

प्राइम मिनिस्टर सर , एक राज्य की मुख्यमंत्री जो अपने ही प्रदेश के लोगों पर जिन पर उन्हें विश्वास है कि वे उनके विपक्ष में मतदान करके आए हैं उनका नरसंहार करवाती हैं . होते हुए मूक देखती हैं , अपने मंत्रियों के अपराध की सज़ा पाने से उन्हें बचाने के लिए कानून को ताक पर रख देती हैं , बार बार मिथ्या आरोप लगाती हैं कि बैठकों में उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया जाता .नहीं दिया गया . उस बैठक में जिसमें केंद्र सरकार उनके ही राज्य की सहायता करने के उद्देश्य से आती है उसमें अभद्र व्यवहार करके निकल जाती हैं और कहीं कोई प्रतिरोध नहीं , आपत्ति नहीं . य ठीक नहीं है सर.
बंगाल के पड़ोसी राज्य उड़ीसा और उनके मुख्यमंत्री जी के शालीन व्यवहार समुचित निर्णयों से , उन्हें देख कर भी शायद ही ममता बनर्जी को कभी लज्जा आती हो क्योंकि भाजपा और केंद्र सरकार के अंध विरोध की आग ने उन्हें और उनकी बुद्धि को पूरी तरह से नष्ट भ्रष्ट कर दिया है , किंतु फिर उनके साथ व्यवहार भी ऐसा किया जाना चाहिए सर जैसा किसी शठ के साथ किया जाता है .

मुंह फाड़कर बीस हज़ार करोड़ मांगने वाली को ये देख भी शर्म नहीं आई होगी कि पड़ोस की नवीन पटनायक सरकार ने स्वयं आगे होकर प्रधानमंत्री जी से इस कोरोना के आपदाकाल को देखते हुए ये निर्णय लिया कि प्राकृतिक आपदा यास तूफान से हुए नुकसान की भरपाई वे स्वयं अपने राज्य के राजकोष स करेंगे . 

इतनी परिपक्वता की उम्मीद रखना और उनसे रखना बेमानी बात है .

सर , इसीलिए आपसे करबद्ध प्रार्थना है, निवेदन है कि बेशक आप नम्र रहें , संवेदनशील रहें , उदार और क्षमाशील रहें किंतु सर उसकी भी एक सीमा तय हो , एक वो हद जिसे पार करने की इजाजत किसी को भी कभी भी न दी जाए.