सबका हल सिर्फ हिन्दुत्व के पास




11 सितंबर 1893. शिकागो की धर्म संसद. स्वामी विवेकानंद का ऐतिहासिक संबोधन याद कीजिए. उन्होंने कहा- सांप्रदायिकताएं, कट्टरताएं और इनकी भयानक वंशज हठधर्मिता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं. इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है. कितनी ही बार यह धरती खून से लाल हुई है, कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हुए हैं. अगर ये भयानक राक्षस न होते, तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता, लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है. मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया. हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं | 
दुनिया में एक तरफ खिलाफत की जंग है. पूरी दुनिया को इस्लाम के परचम तले लाने की जिहाद. इस्लाम के जन्म के सौ साल से भी कम समय में तलवार के दम पर इस्लाम को फैलाने का रक्तरंजित इतिहास | 
दूसरी तरफ चर्च है, जो पूरी दुनिया में ईसाइयत चाहता है, इस पर प्रत्यक्ष रूप से काम करता है. लेकिन हिन्दु. क्या कभी आपने किसी हिन्दु दार्शनिक, संत, महात्मा के मुंह से सुना कि हमें पूरी दुनिया को हिन्दू बना देना है. क्या आप सनातन धर्म के अनंत ग्रंथों में से कहीं एक उद्धरण निकालकर दे सकते हैं, जो ये कामना करता हो कि हमें दुनिया पर हुकूमत करनी है | 
हम सर्वे भवन्तु सुखिनः की परंपरा वाले हैं. हम चींटी से लेकर पीपल तक सबमें प्रभु के दर्शन कर लेते हैं. हिन्दू होना सहज है. इसके लिए आपको कोई प्रयास नहीं करना पड़ता. जैसे सांस लेने के लिए क्या आप कोई प्रयास करते हैं. वहीं अन्य मजहब या मत को देखें, तो आप पाएंगे कि वहां कृत्रिमता है. वहां उस धर्म में समावेश के लिए आपको प्रयास करने होते हैं, विशिष्ट किस्म के प्रतीकों को पहनना, ओढ़ना और जीना पड़ता है |
भारत में पहली मस्जिद सन 629 में बनी, तो वह एक हिन्दू राजा के आदेश पर ही तैयार हुई थी. दक्षिण भारत के तट पर मुसलमानों ने सन 700 के आस-पास बसना शुरू कर दिया था. 8 वीं शताब्दी ने पहला इस्लामिक हमला मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध प्रांत पर किया. सिंध का हिस्सा पहली बार आधिकारिक रूप से खिलाफत साम्राज्य का प्रांत घोषित हुआ. सन 1200 आते-आते दिल्ली में मुसलमानों ने सल्तनत यानी सुलतान का शासन स्थापित कर दिया था. 1857 में आधिकारिक रूप से दिल्ली पर ईस्ट इंडिया कंपनी या यूं कहिए कि अंग्रेजों का राज स्थापित हो गया. आठ सौ साल तक भारत में मुस्लिम सुलतानों, बादशाहों ने राज किया. हर जुल्म, जबरन कन्वर्जन, धार्मिक आधार पर कर, धर्मस्थलों और प्रतीकों को ध्वस्त कर डालने जैसे कृत्यों के सामने हिन्दू झुका नहीं | 
छत्रपति शिवाजी से लेकर गुरू गोविंद सिंह तक सशस्त्र प्रतीकार का इतिहास आप देखेंगे, तो पाएंगे कि मराठों, सिखों, जाटों ने ताकतवर होने पर भी कहीं मुसलमानों पर जुल्म करने या उनका जबरन कन्वर्जन करने की कोशिश नहीं की |
हर दौर में धर्म द्रोही रहे. जिन्होंने कोशिश की कि हिन्दू अपने मार्ग से हट जाए. अपनी सहिष्णुता छोड़ दे. आजादी के बाद जब देश के पास विकल्प था, धर्म के आधार पर बंटवारा हुआ था, तब भी भारत एक सर्व धर्म समावेशी राष्ट्र बना, तो यह हिन्दुओं के कारण ही संभव हुआ. क्या बंटवारे के समय, उस धार्मिक रक्तपात और आवेश के बीच हिन्दू ये मांग नहीं कर सकता था कि हम हिन्दू राष्ट्र हों. नहीं की. क्योंकि हम रामराज्य में यकीन करने वाले लोग हैं. ऐसा राज्य, जहां सबके विचारों के लिए स्थान हो. जी हां, जब दुनिया भेड़ों के लिए लड़ रही थी, हिन्दू धर्म वसुंधैव कुटुम्बकम की अवधारणा का प्रतिपादन कर रहा था | 
देश को बंटवारे के लिए जिम्मेदार लोगों और उनकी विचारधारा ने पांच दशक से ज्यादा इस देश पर राज किया. धर्म के आधार पर और फिर कभी समाज के अंदर बंटवारे के बीज बोए. हम हर साजिश से उबर आए, क्योंकि हम हिन्दू हैं. भगवा आतंकवाद जैसे शिगूफे उछालने वालों की परवाह किए बिना हम मां भारती को अपने हर आराध्य से पहले पूजते रहे हैं. जिहाद के नाम पर रक्तपात और क्रूसेड के नाम पर सशस्त्र प्रतिरोध के शोर के बीच पूरी दुनिया में रोशनी की इकलौती किरण अगर कहीं बची है, तो वह सिर्फ हिन्दुत्व है |