युग-युग से जिसे संजोये हूं बाप्पा के उर की ज्वाल हूं मैं
कासिम के सर पर बरसी वह दाहर की खड्ग विशाल हूं मैं
अस्सी घावों को तन पर ले जो लड़ता है वह शौर्य हूं मैं
सिल्यूकस को पददलित किया जिसने असि से वह मौर्य हूं मैं
कौटिल्यहृदय की अभिलाषा मैं चन्द्र गुप्त का चन्द्र्रहास
चमकौर दुर्ग पर चमका था उस वीर युगल का मैं विलास
रणमत्त शिवा ने किया कभी निश-दिन मेरा रक्ताभिषेक
गोविन्द, हकीकत राय सहित जिस पथ पर पग निकले अनेक
वो ज्वाल आज भी धधक रही है तो इसमें कैसा विस्मय
हिन्दू जीवन हिन्दू तन-मन रग-रग हिन्दू मेरा परिचय...